प्रापर्टी को बेचने पर कितना टैक्स लगता है? Save Capital Gain Tax on Property Sale 2022

प्रापर्टी को बेचने पर कितना टैक्स लगता है
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प्रापर्टी खरीदने के पीछे किसी भी व्यक्ति के अधिकांशतः दो मकसद होते हैं-निवेश के लिए, रिहायश के लिए। कई बार यह जरूरत से जुड़ा मसला भी हो जाता है। जैसे कोई व्यक्ति टूबीएचके के घर में रह रहा है, लेकिन परिवार बढ़ने के साथ उसे महसूस होता है कि यह घर छोटा पड़ रहा है तो वह इसे बेचकर अपने लिए एक बड़ा घर खरीदने की सोचेगा।
इस दौरान प्रापर्टी की बिक्री पर टैक्स से जुड़े अनेक सवाल उसे दिमाग में कौंधते हैं। जैसे-प्रापर्टी की बिक्री पर क्या कोई टैक्स पड़ेगा? यदि हां तो कौन सा टैक्स पड़ेगा? कितना टैक्स पड़ेगा? आदि। आज इस पोस्ट में हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-
दोस्तों, आपको बता दें कि जब भी कोई व्यक्ति रेजीडेंशियल यानी रिहायशी प्रापर्टी बेचता है तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स (capital gain tax) पड़ता है। पहले जान लेते हैं कि यह कैपिटल गेन, जिसे हिंदी में पूंजीगत लाभ भी पुकारा जाता है, क्या है?
दरअसल, प्रापर्टी को बेचने से जो लाभ/मुनाफा होता है, उसे कैपिटल गेन (capital gain) पुकारा जाता है। इसे संपत्ति को खरीदने मे खर्च किए गए पैसे एवं मरम्मत आदि पर आए खर्च को काटकर निकाला जाता है।
मित्रों आपको जानकारी दे दें कि यदि आपने अपनी किसी रेजीडेंशियल प्रापर्टी को बेचा है तो उस पर दो प्रकार से कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। एक शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (short term capital gain tax) यानी अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर एवं दूसरा लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (long term capital gain tax) यानी दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर।
आपको बता दें दोस्तों कि जिस तिथि को आपने रेजीडेंशियल प्रापर्टी खरीदी है, उसके दो साल के भीतर उसे बेचने पर आप पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यदि आप अपनी रेजीडेंशियल प्रापर्टी 24 माह के बाद बेचते हैं तो आप लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आएंगे।

दोस्तों, अब बड़े मुद्दे की बात पर आते हैं। प्रापर्टी पर उसकी बिक्री अवधि के अनुसार शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स एवं लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है यह तो हम आपको बता ही चुके हैं। लेकिन अब सवाल यह है कि प्रापर्टी की बिक्री पर कितना टैक्स लगता है?
आपको बता दें कि जहां तक शार्ट टर्म कैपिटल गेन की बात है, वह आपकी टोटल इनकम (total income) में जुड़ जाता है। आप जिस टैक्स ब्रेकेट (tax bracket) में आते हैं, उस हिसाब से टैक्स कटता है, जो अधिकतम 30 प्रतिशत तक होता है।
इसमें इंडेक्सेशन (indexation) यानी महंगाई की दर को एडजस्ट करने की सुविधा का लाभ नहीं मिलता। बात लांग टर्म कैपिटल गेन की करें तो इस पर फ्लैट 20 प्रतिशत की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देय होता है। हालांकि यह बात अलग है कि इस कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है।
दोस्तों, हमने आपको बताया कि लांग टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है। आइए, समझ लेते हैं कि यह इंडेक्सेशन (indexation) क्या होता है? दोस्तों, दरअसल इंडेक्सेशन को टैक्स देनदारी (tax liability) को कम करने के एक तरीके के रूप में जाना जाता है।
इसका अर्थ खरीद मूल्य को समायोजित (adjust) करना है, ताकि उस पर मुद्रा स्फीति यानी inflation के प्रभाव को दिखाया जा सके। जब निवेश की लागत को बढ़ाकर दिया जाता है एवं मुनाफे की रकम को कम किया जाता है तो इस प्रक्रिया में cost inflation index यानी लागत मुद्रा स्फीति सूचकांक का इस्तेमाल होता है। लिहाजा, यह पूरी प्रक्रिया इंडेक्सेशन कहलाती है।
यह तो आप जानते ही हैं कि cost inflation index (cii) बढ़ती महंगाई को बताने वाला इंडेक्स है। ऐसे में जैसे जैसे महंगाई बढ़ती है, ये इंडेक्स भी चढ़ता जाता है। जैसे-मान लीजिए कि अभी महंगाई का इंडेक्स 100 पर है। यदि एक साल में महंगाई 5 प्रतिशत बढ़ जाती है तो ऐसे में एक साल बाद इंडेक्स 105 पर पहुंच जाता है।
आपको बता दें दोस्तों कि बढ़ती महंगाई के लिहाज से सरकार हर बीते साल के लिए महंगाई इंडेक्स तय करती है। आपको बता दें कि महंगाई सूचकांक की सूची सरकार ने 1981 से बनानी शुरू की थी। उस समय इस सूचकांक को 100 पर रखा गया था।
इसके बाद सरकार ने बेस ईयर (base year) यानी आधार वर्ष को 1981 से बदलकर 2001 कर दिया और सूचकांक को समायोजित करके 100 पर कर दिया। 2017-18 में यह 272 था। इसका अर्थ यह है कि जिस चीज को खरीदने में 2001-02 में 100 रूपये खर्च होते थे, 2017-18 में उसे खरीदने में 272 रूपये खर्च हो रहे हैं। 2020-21 में यह 301 रहा है।
तो अब आप समझ गए होंगे कि महंगाई आपके असल मुनाफे को कम कर देती है, ऐसे में आपको लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है।
इंडेक्सेशन के बाद मुनाफे की गणना का फार्मूला इस प्रकार से है-
लागत मूल्य= (लागत मूल्य×बिक्री के साल का cii/ खरीद के साल का cii)
इसके बाद जो मुनाफा आएगा उसी को असल कैपिटल गेन यानी मुनाफा माना जाएगा एवं उसी पर टैक्स लगेगा। हालांकि आपको बता दें कि बिजनेस (business) की इन्कम एवं सैलरी (salary) से होने वाली आय को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
दोस्तों, आपको बता दें कि यदि आपको आपकी प्रापर्टी किसी व्यक्ति से उपहार के रूप में मिली है अथवा अपने बुजुर्गो से उत्तराधिकार में मिली है और आप उसकी बिक्री से लाभ कमाते हैं यानी कैपिटल गेन करते हैं तो भी आपको उस मुनाफे पर टेक्स चुकाना ही होगा। आप यह मानकर टैक्स से नहीं बच सकते कि आपने यह संपत्ति खरीदी ही नहीं तो इसकी बिक्री पर टैक्स कैसा।
आपको जानकारी दे दें कि आप प्रापर्टी की बिक्री पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स को बचा भी सकते हैं। दरअसल, हिंदू अविभाजित परिवारों यानी Hindu Undivided family (HUF) एवं व्यक्तिगत करदाताओं (individual taxpayers) को इन्कम टैक्स एक्ट (income tax act)- 1961 के तहत टैक्स चुकाने से कई परिस्थितियों में छूट मिलती है। ये परिस्थितियां इस प्रकार से हैं-
मान लीजिए राजू ने एक जनवरी, 2018 को एक घर खरीदा। उसने 31 दिसंबर, 2020 को यह घर बेच दिया। उसका कैपिटल गेन पांच लाख रूपये है। उस पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पड़ेगा, क्योंकि उसने प्रापर्टी 24 महीने बाद बेची है।
लेकिन यदि वह 30 दिसंबर, 2022 तक नई प्रापर्टी खरीद लेता है तो उसे 5 लाख पर टैक्स नहीं देना होगा। यहां यदि राजू ने एक जनवरी, 2019 तक भी कोई संपत्ति खरीदी है तो भी उसके पांच लाख रूपये टैक्स फ्री होंगे।
मित्रों, यूं प्रापर्टी को निवेश के लिए एक बहुत अच्छा जरिया माना जाता है। लेकिन कोरोना के दौरान प्रापर्टी खरीदने वालों की सहूलियत को देखते हुए कई प्रदेशों के जिलों में प्रशासन ने प्रापर्टी के सर्किल रेट (circle rate) में कोई भी इजाफा न करने का फैसला किया।
जैसे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद को ही लें। कोरोना की लहर में आम लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, प्रापर्टी की दर महंगी न हो, इसे लेकर वहां के प्रशासन (administration) ने जमीनों के सर्किल रेट में कोई बढ़ोत्तरी न करने का निर्णय लिया।
आपको बता दें कि अपनी राजस्व (revenue) संबंधी कमाई बढ़ाने के लिए प्रशासन की ओर से हर सला सर्किल रेट में बढ़ोत्तरी पर फैसला लिया जाता है। इन दरों पर पहले प्रस्तावित सर्किल रेट (propsed circle rate) की सूची (list) जारी कर आपत्तियां (objection) मांगी जाती हैं।
आपत्तियों का निस्तारण करने के पश्चात नए सर्किल रेट जारी किए जाते हैं। आपको बता दें कि व्यावसायिक (commercial) एवं आवासीय (residential) क्षेत्रों में स्थित जमीनों के लिए अलग अलग सर्किल रेट जारी किए जाते हैं।
प्रापर्टी बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
कैपिटल गेन दो प्रकार का होता है शार्ट टर्म कैपिटल गेन एवं लांग टर्म कैपिटल गेन।
खरीदने के दो वर्ष के भीतर संपत्ति की बिक्री पर हुए मुनाफे को शार्ट टर्म कैपिटल गेन, जबकि 24 माह के बाद बेची संपत्ति पर हुए मुनाफे को लांग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं।
जी हां, आयकर अधिनियम-1961 में ऐसी कई परिस्थितियां बताई गई हैं, जिनमें कैपिटल गेन पर टैक्स छूट ली जा सकती है। इसके संबंध में हमने आपको ऊपर पोस्ट में जानकारी दी है।
प्रापर्टी की बिक्री पर लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्लैट 20 प्रतिशत की दर से देय होता है।
इंडेक्सेशन का अर्थ खरीद मूल्य को समायोजित करना है, ताकि उस पर मुद्रा स्फीति यानी इंफ्लेशन के प्रभाव को दिखाया जा सके। मुनाफा कम दिखाकर उस पर लगने वाले टैक्स की देनदारी को कम किया जा सकता है।
लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना में इंडेक्सेशन का लाभ लिया जा सकता है।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट में बताया कि प्रापर्टी बेचने पर कितना टैक्स लगता है। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप ऐसे ही किसी जानकारीप्रद विषय पर हमसे पोस्ट चाहते हैं तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद.
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